उत्तराखण्ड

कांवड़ मेले में निकले 50 फीसदी कूड़े का ही हुआ निस्तारण, ढेर को हटाने में छूट रहे पसीने

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बारिश और कार्य की धीमी गति से कांवड़ मेले से निकला 50 फीसदी कूड़ा ही निस्तारित हो पाया है। शहर से रोजाना निकलने वाले कूड़े से प्लांट में ढेर लग गए हैं। प्लांट के आसपास गांव हैं। ग्रामीण वहां से उठने वाली दुर्गंध से परेशान हैं।

हरिद्वार में कांवड़ मेला अवधि में आए पौने चार करोड़ कांवड़िए हरिद्वार में 30 हजार मीट्रिक टन कूड़ा छोड़कर गए। मेला क्षेत्रों के साथ ही गंगा घाटों, बाजारों से कूड़ा एकत्र कर प्लांट में निस्तारण के लिए पहुंचा दिया गया। लेकिन बारिश और कार्य की धीमी गति से कांवड़ मेले से निकला 50 फीसदी कूड़ा ही निस्तारित हो पाया है। शहर से रोजाना निकलने वाले कूड़े से प्लांट में ढेर लग गए हैं। प्लांट के आसपास गांव हैं। ग्रामीण वहां से उठने वाली दुर्गंध से परेशान हैं।

 

नगर निगम क्षेत्र से रोजाना 220 मीट्रिक टन तक कूड़ा निकलता है। जबकि स्नान पर्वों के दौरान 800 मीट्रिक टन तक कूड़ा निकलता है। जुलाई में कांवड़ मेले के 10 दिन के अंदर 30 हजार मीट्रिक टन कूड़ा निकला। जलाभिषेक के बाद अभियान चलाकर सफाई के बाद कूड़ा एकत्र कर सराय स्थित ट्रंचिंग ग्राउंड में निस्तारण के लिए भेज दिया गया।

सोमवार को अमर उजाला ने कूड़े के निस्तारण को लेकर सराय स्थित प्लांट की पड़ताल की। पता चला कि निस्तारण का कार्य बेहद ही धीमी गति से चल रहा है। रोजाना 600 की जगह केवल 200 एमटी तक ही कूड़ा निस्तारित हो रहा है। जबकि कांवड़ मेले में निकले 30 हजार एमटी कूड़े में केवल 15 एमटी का ही निस्तारण हो पाया है। प्लांट के सुपरवाइजर का दावा था कि बारिश में कूड़ा गीला होने से निस्तारण में समस्या खड़ी हो रही है। गीला कूड़ा डालने से मशीन नहीं चल सकती है।
छंटनी कर केमिकल डालकर सूखाते हैं कूड़ा
सराय स्थित प्लांट में निस्तारण का कार्य आयुषी हाइजिन एवं केयर प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। चार महीने पहले ही संस्था से निगम का अनुबंध हुआ। कंपनी के 27 कर्मचारी रोजाना कूड़े की छंटनी करने के बाद उसेकेमिकल डालकर सूखाते हैं। कूड़ा पूरी तरह सूखने में तीन महीने तक का समय लगता है। जिसके बाद मशीन से उसे निस्तारित करते हैं। मशीन से एक बार में 80 एमटी तक कूड़ा निस्तारित होता है। पूरे दिन में 600 से 800 एमटी तक कूड़ा निस्तारण किया जाता है।

पुराना कूड़ा अभी तक नहीं हुआ निस्तारित
प्लांट में पहले से करीब 60 हजार मीट्रिक टन कूड़े के पहाड़ खड़े थे। पहले आगे की तरफ के पहाड़ हटाकर निस्तारण शुरू करते हुए 40 हजार मीट्रिक तक कूड़ा निस्तारित कर दिया गया। लेकिन इसके बाद बारिश से गति धीमी पड़ गई। अब फिर से प्लांट में कूड़ा जमा होने से ढेर लगने शुरू हो गए।

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