दिल्ली में केदारघाटी का प्रसिद्ध पांडव नृत्य प्रस्तुत करेगा रूद्रप्रयाग का बेटा प्रभात
आज हम बात करेंगे रुद्रप्रयाग के बेटे प्रभात जगवाण, जो कि एक समाज सेवी हैं,प्रभात जगवाण जी मूल रूप से रुद्रप्रयाग के छतोली तिलवाड़ा से हैं।
इनकी प्राथमिक शिक्षा
विद्यालय अतुल मॉडल पब्लिक स्कूल से हुई है और ये वर्तमान में दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय
में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं
इनके दादा जी, पिता जी और चाचा जी भी समाज सेवी हैं,निरंतर समाज की सेवा में लगे रहते हैं। इसी के चलते रुद्रप्रयाग के बेटे प्रभात जगवाण ने एक संस्था चखुल फाउंडेशन के माध्यम से आगामी 30 सितंबर को दिल्ली के प्यारे लाल भवन आईटीओ में केदारघाटी के मुख्य और प्रसिद्ध नृत्य पांडव नृत्य
को जनमानस के समक्ष प्रस्तुत करेंगे
यूं तो पांडव नृत्य सिर्फ केदार घाटी की ही नहीं बल्कि पूरे उत्तराखंड की
एक पारंपरिक सांस्कृतिक विरासत है, लेकिन उत्तराखण्ड में हर जगह इसे अलग अलग तरीके से होता है
यहां मूल रूप से केदारघाटी के अंतर्गत होने वाली पांडव नृत्य को प्रस्तुत किया जायेगा पांडव नृत्य पारंपरिक ढोल दमाऊं जो कि उत्तराखण्ड का प्रसिद्ध वाद्य यंत्र है की थाप पर किया जाएगा।
क्या है पांडव नृत्य…
संस्कृति,सभ्यता,पारंपर की जब बात होती है तो सबसे पहले पांडवों का ही स्मरण होता है। माना जाता है जब पांडव अपना राज पाठ त्याग,अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए हिमालय की ओर बढ़ रहे थे। तब यहां के लोगों ने उनसे विनती की कि आप अपने स्मरणों के तौर पर हमे कुछ भेंट दीजिए तब पांडवों ने
हमारे पूर्वजों को आश्वाशन दिया की जब भी तुम हमारा आवाहन ढोल दमाऊं वाद्य यंत्रों के साथ करोगे तो हम तुम में से ही अपने अपने पश्वा चुनेंगे और उनके भीतर अवतरित होंगे। तब से लेकर आज तक उत्तराखण्ड (विशेष कर केदारघाटी) में यही मान्यता चली आ रही है
पांडवों का आवाहन विशेष ढोल दमाऊँ की थाप पर किया जाता है
हर एक के लिए विशेष थाप होती है
जैसे अर्जुन के लिए अलग भीम के लिए अलग वैसे ही अन्य पांडवों के लिए भी अलग अलग थाप होती है।
तो इसी तर्ज पर पांडव नृत्य दिल्ली के प्यारे लाल भवन आईटीओ में प्रभात जगवाण की टीम द्वारा दिखाया जाएगा जिसमें हिमानी रावत, भावना बिष्ट, अनन्या पंवार , अंश शर्मा, शगुन, करन, पूजा व अन्य लोग शामिल हैं।